महत्व- जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आती है या जो पुत्र की इच्छा रखते हैं उन्हें पुत्रदा एकादशी का यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
एक वर्ष की दो एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह श्रावण और पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी है, इन दोनों एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसंबर/जनवरी के महीने में आती है, जबकि श्रवण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई/अगस्त के महीने में आती है। इसे पुत्रदा एकादशी, पवित्रोपना एकादशी, पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
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पुत्रदा एकादशी पूजा मुहूर्त-
श्रावण शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त 2021, बुधवार 19 अगस्त 2021 को प्रातः 03:20 बजे से गुरुवार की देर रात तक
एकादशी तिथि 01:05 बजे समाप्त होगी। इसी के चलते 18 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
मंत्र-
इस मंत्र का जाप करें 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'। विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करें।
कैसे करें व्रत और पूजा-
प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर स्वच्छ एवं धुले वस्त्र धारण कर श्री हरि विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
अगर आपके पास गंगाजल है तो आपको गंगाजल को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।
एकादशी की रात भगवान की पूजा करनी चाहिए।
पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को कथा आदि सुनने के बाद फल खाया जाता है।
दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा देनी चाहिए, उसके बाद भोजन करना चाहिए।
इस दिन दीप दान करने का बहुत महत्व है। इस व्रत से व्यक्ति तपस्वी, विद्वान, दामाद और लक्ष्मीवन बनता है और सभी सुखों का भोग करता है।
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